कैसे बना एक साधारण इंसान बेबीलोन का सबसे अमीर आदमी | The richest man in Babylon Book Summary in Hindi

अमीर होने की इच्छा सभी में होती है लेकिन अमीर बनने का सही तरीका बहुत काम लोगों को पता होता है। आज में आपसे George S Clason की बुक The Richest Man In Babylon ki Summary शेयर करने जा रहा हूँ।

ज़्यादातर लोग यह सोचते हैं की एक गरीब इंसान कभी अमीर नहीं बन सकता। या अगर बनता है तो ये उसकी किस्मत है या उसने कुछ गलत काम करके ये पैसे कमाए होंगे। ऐसी सोच इसलिए आती है. क्यूंकि अधिकतर लोगों को ये पता ही नहीं होता की अमीर कैसे बने। क्यों की न तो उनको स्कूल में इसके बारे में बताया जाता है। और न ही उनका कोई दोस्त या रिस्तेदार इतना अमीर होता है।

अगर आप सच में गहराई से यह जानना चाहते हैं की एक साधारण इंसान अमीर कैसे बन सकता है तो इस पोस्ट को पूरा पढ़े. तो शुरू करते हैं यह जानना कि – “कैसे बना एक साधारण इंसान बेबीलोन का सबसे अमीर आदमी

बेबीलोन प्राचीन समय का एक सबसे अमीर शहर था, इसी शहर में बज़िर नाम का एक आदमी रथ बनाने का काम करता था। उस दिन बज़िर अपने घर के दीवार के पास काफी उदास होकर बैठा था। उसके घर के पास राजा का राजवाड़ा था जोकि बहुत अधिक आलिशान और सुंदर था और उसके बगल में बज़िर का छोटा सा घर था।

एक तरफ गंदगी और गरीबी थी और दूसरी तरफ शान और अमीरी थी। बंजिर अपने रथ बनाने के काम में लगा था तभी बज़िर का दोस्त कोबी वहां पर आया जो कि संगीतकार था। कोबी ने बंजिर से उसकी उदासी का कारण पूछा तो बंजिर ने कहा कि हम दुनिया के सबसे अमीर शहर में रहते हैं

जो लोग बेबीलोन आते हैं वह हमेशा कहते हैं कि बेबीलोन जितना पैसा दुनिया में किसी अन्य शहर में नहीं है फिर भी आज हम बेबीलोन में ही गरीब हैं । सारी जिंदगी बहुत मेहनत मजदूरी करने के बावजूद भी आज हम गरीब ही हैं। यह बात सुनकर, कोबी बड़ा हैरान हुआ और बोला कि पहले मैंने कभी तुमने इस विषय पर इतनी गंभीरता से बात नहीं की है

यह सुनकर बंजिर बोला, मैंने इसके बारे में आज से पहले इस तरह सोचा ही नहीं था। सुबह से लेकर सूरज ढलने तक मैं मेहनत करके सबसे बेहतरीन रथ बनाता था और आशा करता था कि किसी दिन भगवान मेरी मेहनत और मेरे अच्छे कामों को पहचानेंगे और मुझे धनवान बनाएंगे और मुझे समझ आया कि ऐसा हो नहीं सकता जिसकी वजह से मेरा दिल थोड़ा उदास हो गया

मैं ऐसे ही गरीब बनकर नहीं जीना चाहता, मैं चाहता हूं कि मेरे पास भी जमीन हो, अच्छा खासा पैसा हो। इनको पाने के लिए मैं पूरी मेहनत करने के लिए भी तैयार हूँ ।

इस पर कोबी ने कहा की मेरी हालत भी तुम्हारे जैसी ही है, क्यों न हम पता करें कि अमीर कैसे बनते हैं । जिनके पास पैसा है उनसे पूछ कर अमीर बनने का रहस्य जान सकते हैं । कोबी ने कहा कि आज में हमारे बचपन के पुराने दोस्त अरकद के सामने से गुजरा जो कि अपने सोने के रथ पर जा रहा था कहा जाता है कि अरकद बेबिलोन का सबसे अमीर आदमी है तो क्यों ना हम इसके बारे में अरकद से ही पूछे और पता करें कि हम किस तरह पैसे कमा सकते हैं।

फिर बंजिर कहता है कि हम आज ही अरकद के पास जाएंग। अरकद की लोकप्रियता बहुत दूर-दूर तक फैली हुई थी और वह अपनी बहुत सारी दौलत के लिए जाना जाता था। बंजिर और कोबी अपने बचपन के कुछ और दोस्तों के साथ अरकद से मिलने चले गए

और उन्होंने कहा…

अरकद तुम हमसे कुछ ज्यादा ही खुश किस्मत हो, तुम बेबीलोन के सबसे अमीर आदमी बन गए हो, तुम अच्छे कपड़े पहनते हो और स्वादिष्ट भोजन करते हो और दुनिया कि सैर भी करते हो। जब कि हमारी हालत यह है कि हमारे परिवार को भर पेट भोजन मिल जाए और पहनने के लिए कपड़े मिल जाए तो हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहता।

लेकिन एक समय था अरकद , जब हम एक जैसे थे, हमे एक ही अध्यापक ने पढ़ाया है और पढाई और खेल में तुम हमसे कभी आगे नहीं थे और तुमने हमसे ज्यादा मेहनत भी नहीं किया है लेकिन फिर भी तुम बेबीलोन के सबसे अमीर आदमी बन गए और आज भी हम गरीब हैं। क्या तुम हमसे अपने अमीर बनने का रहस्य बताओगे। तब अरकद ने कहा….

क्यों नहीं मेरे दोस्तो मे तुम्हे जरूर बताऊंगा…

मैंने अपने जवानी के दिनों में सुख और संतुस्टी देने वाली बहुत सी चीज़ें देखी। मैंने ये भी देखा की दौलत इन सब चीजों की शक्ति को बढ़ा देती है। मैंने ये संकल्प किया कि मैं ज़िन्दगी की सारी अच्छी चीज़ें हासिल करूँग।

जैसा तुम लोग जानते हो मेरे पिता एक छोटे व्यापारी थे और मुझे विरासत में कोई दौलत नहीं मिली। जैसा तुम लोगों ने कहा, मुझमे तीव्र बुद्धि या कोई विशेष योग्यता भी नहीं थी। इसलिए मैंने सोचा कि अगर मुझे अपनी इच्छा पूरी करनी है तोह मुझे समय और ज्ञान कि आवश्यकता होगी।

इसके लिए में काम में जुट गया और मैं मिट्टी के बर्तन पर लिखाई का काम करने लगा। मैं हर दिन कई घंटो लिखने का काम करता था। इस काम से मुझे जो कुछ भी कमाई होती थी वो सब मेरे खाने, कपड़े और जरूरत के चीजों पर खर्च हो जाती थीं और मेरे पास एक रुपया भी नहीं बचता था। लेकिन इसके बावजूद भी मैंने मेरे अमीर बनने के सपने को टूटने नहीं दिया।

फिर एक दिन अलगेमिश नाम के साहूकार मेरे घर पर आये। उन्होंने मुझे मिट्टी के बर्तन पर नौवां नियम लिखने का काम दिया और कहा कि यह काम अगर तुम दो दिनों में पूरा करोगे तो तुम्हे में दो ताम्बें के सिक्के दूंगा। मैंने बहुत मेहनत किया लेकिन नौवां नियम बहुत बड़ा था और
अलगेमिश जी जब दुबारा आए तब काम अधूरा पड़ा हुआ था। वे नाराज होकर बोले…

अगर तुम मेरे गुलाम होते तो मै तुम्हे कड़ी से कड़ी सजा देता। में डरा हुआ था

मैंने डरते – डरते कहा कि आप तो बहुत अमीर आदमी हैं कृपा करके आप मुझे बताइये कि मैं आप कि तरह अमीर कैसे बन सकता हूँ और इसके बदले में, मैं पूरी रात जागकर आपका काम करूंगा और सुबह सूरज उगने से पहले आपका काम पूरा हो चूका होगा। जिसपर अलगेमिश राज़ी हो गए फिर मैं पूरी रात उस काम को करने में लग गया। मेरी पीठ में दर्द हो रहा था, आंखें दर्द कर रही थी और सर भी दर्द कर रहा था फिर भी मैं बिना रुके उस काम को करता रहा और जब सुबह अलगेमिश वापस आये तो उनका काम हो चुका था। अपने काम को पूरा देख अलगेमिश जी ने मुझसे कहा, बेटा तुमने तुम्हारा काम तो कर दिया है अब मेरी बारी है मेरे शब्दों को ध्यान से सुनना क्योंकि अगर तुम इन बातों को समझ नहीं पाए तो तुम्हें लगेगा कि तुम्हारी रात भर की मेहनत पानी में चली गई।

अमीर बनने का रास्ता मुझे तब मिला जब मैंने यह निर्णय किया कि जितना भी पैसा मैं कमाता हूं उसका कुछ हिस्सा मुझे अपने लिए रखना है
इस पर मैंने उनसे पूछा बस इतना ही? अलगेमिश जी ने बोला हाँ। मैंने उनसे बोला कि जितना भी पैसा मैं कमाता हूं अपना पूरा पैसा मैं अपने लिए ही रखता हूं। इस पर अलगेमिश जी ने जवाब दिया कि तुम कपड़ों की दुकान वाले को, बनिए को इन सब को पैसे देते हो, तुम सबको पैसे देते हो बस खुद को छोड़ देते हो। अगर तुम्हे अमीर बनना है तो अपनी कमाई का कुछ हिस्सा सबसे पहले अपने आप को देना होगा।

जितने भी पैसे तुम बचा कर रखते हो वो तुम्हारे गुलाम है और तुम्हें उन्हें काम पर लगाना चाहिए जो पैसा तुम बचा रहे हो तुम्हें उन्हें काम पर लगाना होगा और तुम्हारी बचत के जो बच्चे हैं उन्हें भी तुम्हारे लिए काम करना होगा और पैसा कमाना होगा अलगेमिश ने कहा कि तुम्हें लग रहा होगा कि मैं तुम्हें फंसा रहा हूं पर मैं तुम्हें तुमने जितना काम किया उससे हजार गुना ज्यादा दे रहा हूं जो भी तुम कमाते हो उसका कुछ हिस्सा तुम्हें अपने लिए रखना चाहिए और वह हिस्सा तुम्हारी कमाई के १०% से कम नहीं होना चाहिए। सबसे पहले खुद को pay करो और उसके बाद अपने खर्चे करो यह कहकर वो चले गए।

मैंने बिना समय गंवाए अपने कमाई का 10% अलग रखने लगा और बाकी बचे पैसों से अपने जरूरत कि चीजे खरीदता था। अजीब बात यह थी कि मुझे खर्चे चलाने में कोई दिक्खते नहीं होती थी। इसी तरह में पैसे बचाता रहा और एक साल बाद अलगेमिश जी फिर वापस आए और मुझ से पूछा कि…

बेटे पिछले साल जो तुमने पैसे कमाए थे उसका अपने लिए कमसे कम 10% बचाया है? तब मैंने कहा… हां और तब अलगेमिश जी खुश होकर बोले बहुत अच्छा लेकिन तुमने उन पैसों का क्या किया? तब मैंने उन्हें बताया कि मैंने उसे एक ईंट बनाने वाले को दिया है, जों दूसरे देशों में जाकर कम दामो में हीरे खरीदने गया है, जिसको हम यहां मेहंगे दामों में बेचने वाले है और जो फायदा होने वाला है उसको हम आपस में बांटने वाले है।

अलगेमिश जी बहुत गुस्सा हो गए और मुझसे कहा… तुमने अपने सारे पैसे खो दिए और तुमने कैसे समझ लिया कि एक ईंट बनाने वाले को असली हीरों का ज्ञान होगा? क्या तुम ब्रेड बनाने वाले से ज्योतिष की जानकारी पूछते हो? नहीं ना!!! तो तुम्हे थोड़ी सी भी बुद्धि होंगी तो तुम ज्योतिषी के पास जाओगे। तुम्हे हीरे खरीदने के लिए किसी सोनार कि सलाह लेनी चाहिए थी।

बेटे तुमने अपने दौलत के पेड़ को जड़ से उखाड़ दिया। परन्तु तुम इसे दुबारा बो सकते हो। दुबारा कोशिश करो और अगर दुबारा तुम्हे रत्नो के बारे में सलाह लेनी हो तो जौहरी के पास जाना। भेड़ों के बारे में जानना है तो गड़ेरिये के पास जाना। सलाह एक ऐसी चीज़ है जो मुफ्त में मिलती है। परन्तु इस मामले में सतर्क रहने की ज़रुरत है। वही सलाह मानो जो मानने योग्य है। जो व्यक्ति अपने बचत के बारे में किसी अनुभवहीन से सलाह लेते हैं, वो गलत सलाह की वजह से अपना बचत गवां बैठते हैं

पर चलो तुम्हे इस गलती से कुछ सीखने को मिला, अब फिर से पैसे बचाने शुरू करदो और इतना बोलकर अलगेमिश जी चले गए। और जैसा उन्होंने कहा वैसा ही हुआ, ईंट बनाने वाला नकली हीरे लेकर आया और हमारे सारे पैसे डूब गए। तब मैंने ज्यादा सोचने समझने में अपना समय बर्बाद नहीं किया और फिर से पैसे बचाना शुरू कर दिया।

अब मुझे पैसे बचाने कि आदत पड़ चुकी थी, इसके वजह से यह काम मेरे लिए आसान हो गया था। एक साल बाद अलगेमिश जी फिर आए और मैंने उन्हें बताया कि मैंने मेरी बचत एक ढाल बनाने वाले को दिया है, जो मुझे हर ४ महीने के बाद कुछ पैसे देता है। अलगेमिश जी बोले यह तो बहुत अच्छी बात है! लेकिन यह तो बताओ कि उन पैसों का तुम क्या करते हो?

मैंने उन्हें बताया कि में इन पैसों से जश्न मनाता हूँ और मंहगे कपड़े खरीदता हूं। मेरी बाते सुनकर अलगेमिश जी हंसने लगे और उन्होंने बोला कि तुम अपने बचत के बच्चो को ही खा रहे हों। इस तरह से तुम कभी अमीर नहीं बन सकते। तुम्हे सबसे पहले सिक्को के गुलामों कि सेना बनाना चाहिए जो तुम्हे और पैसे कमाकर दे और तुम ये सेना बना सकते हों, इन पैसों को बार बार अच्छी जगह निवेश करके

एक बार तुम्हारी यह सेना बन गई तो तुम आराम से खर्च कर सकते हों। तुम्हारी यह सेना तुम्हे हमेशा पैसे बनाकर देगी। इतना बताने के बाद अलगेमिश जी चले गए। उसके दो साल बाद अलगेमिश जी से मेरी मुलाकात फिर से हो गई और तब उन्होंने मुजसे फिर से पूछा कि क्या तुम्हे तुम्हारी मनचाही दौलत मिल गई जिसका तुमने सपना देखा था।

तब मैंने कहा उतनी तो नहीं जितना मैंने चाहा था लेकिन जल्द ही मिल जाएगी। क्युकी मैंने सीख लिया है कि पैसे कैसे बनाते हैं और इन पैसों से अपने लिए काम कैसे करवाया जाता है? और इसके बाद अलगेमिश जी बहुत खुश हुए और पैसों के प्रति मेरी म्हणत से खुश होकर उन्होंने मुझे अपना बिजनेस पार्टनर बना लिया और आज तुम देख ही सकते हों कि में कहा हूं। दोस्तों यही थी मेरी गरीबी से अमीर आदमी बनने का रहश्य, उम्मीद करता हूँ कि तुम लोग भी इस जानकारी की मदद से जल्द ही अपनी मनचाही दौलत बना सको।

तो दोस्तो हमने इस कहानी से क्या सीखा ?

  1. हमे अपने कमाई का 10% परसेंट सबसे पहले अपने आप को देना चाहिए और बाकी 90% परसेंट से अपने खर्चे चलाने चाहिएं।
  2. हमे एडवाइज उन्हीं लोगों से लेनी चाहिए जो उस फिल्ड में एक्सपर्ट हो।
  3. हमें अपने पैसों से हुई कमाई को वापस इन्वेस्ट करना चाहिए ताकि हम कंपाउंड इंटरेस्ट का पूरा लाभ उठा सकें और अपने लाभ को कई गुना बढ़ा सके।

इस किताब में अमीर बनने के और भी नियम दिए हुए हैं अगर आप इस किताब को पूरा पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए हुए लिंक से इस किताब को खरीद सकते हैं:

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